Thursday 3 March 2011

अनुवाद : स्वरुप तथा प्रक्रिया

सूक्ति : " हिंदी भारत के लिए प्रकृति का वरदान है." -- गिरिधर शर्मा

अनुवाद : स्वरुप तथा प्रक्रिया 

अनुवाद के कई रूप है :-

  1. शब्दानुवाद 
  2. भावानुवाद 
  3. सारानुवाद 
  4. भाष्य 
  5. रूपांतरण
Kasangande के अनुसार अनुवाद ४ प्रकार के है.--

  1. भाषापरक
  2. तथ्यपरक
  3. संस्कृति परक
  4. सोंद्रियपरक 
अनुवाद में निम्नांकित प्रक्रियाए शामिल है: 

  • स्रोत भाषा का गंभीरता पूर्वक पठन तथा विश्लेषण 
  • स्रोत भाषा के वाक्यों का लघु खंडो में विभाजन 
  • लघु खंडो का लक्ष्य भाषा में अनुवाद के लिए स्वाभाविक समानार्थी शब्दों का चयन तथा अंतरण 
  • वाक्यों के विन्यास ; शब्दों, व्याकरण का सही प्रयोग दुवारा पुनर्रचना या पुनर्गठन 
  • अंत में , पुनरीक्षण 
पुनरीक्षण के दौरान स्वयं से पूछे की -

  • क्या मूल भाषा में व्यक्त भाव या विचार आया है ?
  • क्या अनुवाद में शब्दों का सटीक पर्याय दिया गया है? 
अनुवाद में सफलता के लिए सतत अभ्यास अनिवार्य है. 

धन्यवाद 

Saturday 19 February 2011

अनुबाद : आवश्यकता तथा स्वरुप

सूक्ति : हिंदी में विश्व की संपर्क भाषा बनाने की क्षमता है -भगवान सिंह 

हिंदी अन्य भाषाओ से भी समृद्ध हुई है. इसमे अनुवाद की महती भूमिका रही है. हिंदी में अनुवाद की आवश्यकता निम्नांकित कारणों से है: 

  1. इससे मोलिक लेखन को मार्गदर्शन मिलता है.
  2. अनुदित साहित्य से अपरिमित ज्ञान राशी प्राप्त होता है.
अनुवाद एक कला है और विज्ञानं भी. इसकी आवश्यकता उसी भाषा से उसी भाषा में भी होती है. याद रखे की भाषांतरण  किसी लिखित मूल सामग्री को पुन: उसी रूप में लिखने की प्रक्रिया है जबकि लिप्यान्तरण किसी लिखित मूल सामग्री को किसी अन्य वांछित लिपि में लिखने की प्रक्रिया.

उदहारण: 
मूल सामग्री (हिंदी ) = यह एक आम है. 
translation (english)+= this is a mango.
transcription             = यह एक आम है. 
transliteration (english)= yah ek aam hai.

Wednesday 9 February 2011

अनुवाद : परिचय

सूक्ति : '' राष्ट्र के एकीकरण के लिए सर्वमान्य भाषा से अधिक बलशाली कोई तत्व नहीं. मेरे विचार से हिंदी ही ऐसी भाषा है. '' - लोकमान्य तिलक 

अनुवाद ( translation ) को उर्दू में तर्जुमा या उल्था कहा जाता है. यह संस्कृत के वद धातु तथा अनु उपसर्ग से मिलकर बना है. जिसका अर्थ है पश्चात कथन. 

'' एक भाषा में व्यक्त विचारो को यथासंभव सामान और सहज अभिव्यक्ति से दूसरी भाषा में व्यक्त करने का प्रयास अनुवाद है. ''-- डॉ. भोला नाथ तिवारी 

'' विचारो को एक भाषा से दुसरे भाषा में रूपान्तर करना अनुवाद है. '' -- आचार्य देवेंद्रन्नाथ शर्मा

'' अनुवाद स्रोत भाषा में अभिव्यक्त विचार को यथासंभव मूलभाव के समान्तर बोध तथा प्रेषण के धरातल पर लक्ष्य भाषा में अभिव्यक्ति करने की प्रक्रिया है.''  -- विनोद गोदते 

'' अनुवाद एक भाषा समुदाय के विचार और अनुभव सामग्री को दुसरे भाषा समुदाय की शब्दावली में लगभग यथावत संप्रेषित करने की सौद्दस्य परिवर्तन की प्रक्रिया है. ''  -- वालेंद्रशेखर तिवारी 

अनुवाद का भाषांतरण या रूपांतरण या प्रतिलिपि लेखन (transcription) तथा लिपियांतरण  में (transliteration) में सुक्ष्म अंतर है.    

धन्यवाद !



Thursday 3 February 2011

हिंदी के रूप : हमारा प्रयोजन

सूक्ति : '' उस भाषा को राष्ट्र भाषा के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए जो देश के बड़े हिस्से में बोली जाती है अर्थात हिंदी ''--- रवीन्द्रनाथ ठाकुर 


व्यवहार की दृष्टी से हिंदी भाषा के मुख्यतः ३ रूप है: 

  1. सामान्य हिंदी  जो दैनिक बोलचाल की हिंदी है . इसमें कोई पारिभाषिक शब्दावली नहीं होती है. 
  2. रचनात्मक हिंदी  जो साहित्य रचना की हिंदी है. इसमे  अनुभव तथा कल्पना का समन्वय आवश्यक रूप में होता है. इसमें कला और शैली के शास्त्र का अनुसरण होता है. 
  3. प्रयोजनमूलक हिंदी  जो व्यवहारिक प्रयोजन में प्रयुक्त होती ही. यह साहित्येतर हिंदी है. इसमें विशेष ज्ञान की जरुरत नहीं होती है. इसकी प्रयोजन अनुकूल पारिभाषिक शब्दावली होती है. यह भाषा की मानक संरचना का अनुसरण कराती है. इंग्लिश भाषा में इसे functional language कहा जाता है. 
प्रयोजन मूलक हिंदी में निम्नांकित वर्ग है: 

  1. प्रशासनिक हिंदी यथा परिपत्र, अधिसूचना .................
  2. व्यवसायिक हिंदी यथा खाता, निवेश .......................
  3. तकनिकी हिंदी यथा अयस्क, घर्षण .......................
  4. जन्संचारी हिंदी यथा अनुवाद, पटकथा .................
  5. विधिक हिंदी यथा करारनामा आदि. 
अतः विशेष प्रजोजन हेतु विशिष्ट जनों द्वारा प्रयुक्त हिंदी को प्रजोजन मूलक हिंदी कहा जाता है. 

धन्यवाद 

Wednesday 26 January 2011

हिंदी का विज्ञानं


fganh dk foKku


सर्वप्रथम आप सभी को राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभ कामनाये. 


'' जिस हिंदी भाषा के खेत में भावों की सुनहली फसल लहलहा रही हो, वह भाषा भले ही कुछ दिनों यों ही उपेक्षित पड़ी रहे पर उसकी स्वाभिक उर्वरता अप्रभावित रहेगी. वहां फिर हरीतिमा के दिन आयेंगे और पौष मास में फिर 'नवान्न उत्सव' आयोजित होगा.'' 
                                                                                          --गुरुदेव 


हिंदी एक भारतीय भाषा है . भाषा कोई भी हो, वह अभिव्यक्ति की सशक्त माध्यम होती है. हिंदी मेरी मातृभाषा है. मेरे संस्कार, भाव- विचार, व्यबहार तथा अभिव्यक्ति की क्षमता आदि सभी हिंदी से ही संपोषित है. हिंदी के ऋण से हम कभी भी  उऋण नहीं हो सकते है. 
Hindi Teacher


मुझे लगता है की मनुष्य की सम्प्रेषण- शक्ति ही उसे सृष्टी का सफल प्राणी बनाया है. सम्प्रेषण की आंतरिक आवश्यकता से भाषा की उत्त्पति हुई होगी और फिर उससे प्राप्त ज्ञान के प्रवाह के लिये विज्ञान का उदय हुआ होगा. विज्ञानं का अर्थ उस ज्ञान अथवा उस क्रमबद्ध अध्ययन की प्रक्रिया से है जो इस भौतिक जगत में  घटित हो रहा है. 

:''हिंदी का विज्ञान''. हिंदी का इतिहास, उसके विविध रूपों, प्रयोगों तथा प्रभाव को समझने एवं उसका क्रमबद्ध अध्ययन करने का मेरा लघु प्रयास मात्र  है.

भारतीय संविधान की ८ वीं अनुसूची के भाग 'क' में २२ भाषाएँ और भाग 'ख' में शेष भाषाएँ सम्मिलित किये गए है. १९६१ तथा १९७१ की जनगणना के अनुसार भारत में  मत्त्रिभाषाएं  की कुल संख्या १६५२ है तथा १८७ भाषाएँ है. स्पष्ट है की भारत एक बहुभाषी देश है. 

विश्व की जनसँख्या का १६% भाग इंडो यूरोपियन परिवार की इंग्लिश भाषा तथा चीनी परिवार की मंदारिन भाषा का प्रयोग करती है . दुनिया की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली तीसरी भाषा हिंदी है. हिंदी को विश्व के लगभग १५% जनसँख्या बोलते है. संविधान की अनुच्छेद ३४३ के अनुसार संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी है. अरुणाचल प्रदेश, अंदमान - निकोबार, बिहार, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखण्ड, मध्यप्रदेश, राजस्थान , उत्तरप्रदेश, और उत्तरांचल में भी हिंदी ही राजभाषा है. 

उपरोक्त विवरण से स्पष्ट है की हिंदी अब विश्वभाषा के रूप में स्थापित है. अतैव इसकी व्यापकता, प्रसार तथा सामर्थ्य का अनुसन्धान हमारा दायित्व है. संभवत आप भी मुझसे सहमत होंगे.

आशा है की हम भारतीय अपनी जिम्मेब्वारी समझेंगे तथा राष्ट्र के प्रति अपने उत्तरदायित्व का निर्वाह            करेंगे. 

जय हिंद .

धन्यवाद.